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हाईब्रिड किस्म, टिश्यु कल्चर, ग्राफ्टेड, उच्च तकनीक से तैयार पौधे।
ड्रैगन पौधा (PP Dragon)

ड्रैगन फल (Pink to White)

ड्रैगन पौधा
ड्रैगन फसल
ड्रैगन फल
ड्रैगन फल व फूल

नियमित रूप से प्रयासरत व कुछ नया करने की दृढ इच्छा-शक्ति के साथ हिलकोरा कम्पनी लेकर आयी है- -ड्रैगन प्लान्ट, जो निम्न विशेषताओं से युक्त है-

  • ड्रैगन एक औषधीय पौधा है
  • यह हाई लैब टेक्नीक बायो प्लान्ट सिस्टम द्वारा तैयार (By High Lab Technique and Bio Plant system)
  • PP ड्रैगन किस्म का पौधा जो उच्च उत्पादन हेतु विशेष रूप से तैयार
  • उच्च व्यावसायिक बाजार मूल्य वाला
  • परिचय:

    यह फल थाईलैण्ड, वियतनाम, इस्राएल और श्रीलंका में प्रसिद्ध है। भारत में इस फल का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हुआ है। भारत में इसके फल की कीमत 200-400 रूपये/किलो है। जहाँ कम बारिश होती है वहाँ इसका उत्पादन अच्छा माना जाता है। इस पौधे को सजावटी पौधा भी माना जाता है। तथा यह फल उत्पादक पौधा भी है। ड्रैगन फल को ताजे फल के रूप में काम में लिया जाता है साथ ही साथ इसे जैम, आईसक्रिम, जैली उत्पादन, फ्रुट जूस तथा वाईन के रूप में काम में लिया जा सकता है। इस फल को फेस पेक के रूप में प्रयोग लिया जाता है।

    लाभ:

  • डायबिटीज नियन्त्रण में सहायता करता है।
  • कोलेस्ट्रॉल घटाने में मददगार
  • फेट तथा प्रॉटिन प्रचुर मात्रा में
  • हृदय से संबंधित सुधार करता है।
  • ऑरथिरिट को रोकने में मददगार
  • विटामिन तथा खनिज प्रचुर मात्रा में
  • रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है।
  • एन्टिऑक्सिडेन्ट का अच्छा स्रोत
  • वजन को नियन्त्रित करता है।
  • अस्थमा से लड़ने में सहायक
  • मुख्य प्रकार:
    रंग के आधार पर इसके तीन प्रकार होते हैं-

  • पिंक टु व्हाईट (Pink to White)
  • पिंक टु पिंक (Pink to Pink)
  • येलो टु व्हाईट (Yello to White)

  • वातावरण:

  • यह फल कम उपजाउ मिट्टियों में तथा अलग-अलग तापमान में जीवित रह सकता है।
  • इसकी खेती हेतु उष्णकटिबन्ध क्षेत्र उपयुक्त रहता है
  • बारिश- सालाना 50 सेमी
  • तापमान 20 से 30 डिग्री
  • इसकी खेती के लिए बहुत ज्यादा सूर्य का प्रकाश अच्छा नहीं माना जाता।
  • ज्यादा सूर्य की रोशनी वाले क्षेत्रों में अच्छी उपज के लिए छाया की जा सकती है।
  • मिट्टी- अच्छी जल निकासी वाली सेन्डी लूम टु क्ले लूम
  • पीएच मान 5.5 से 7 आदर्श
  • अन्य उपयोगी जानकारियां:

  • जमीन तैयार करना- हिलकोरा कम्पनी के निर्देशन में
  • एक एकड़ जमीन में 1700 पौधे लगाए जा सकते हैं।
  • अच्छी उपज हेतु फल आने लगे उस समय थोड़ी नाइट्रोजन तथा ज्यादा मात्रा में पोटाश देनी चाहिए।
  • फूल आने से पहले अप्रेल में तथा फल आते समय जुलाई अगस्त में तथा फल लेने के बाद दिसम्बर में खाद का मिक्सचर देना चाहिए।
  • सिंचाई- अन्य पौधो की तुलना में कम पानी की आवश्यकता
  • पौधरोपण के समय, फूल तथा फल विकास के समय तथा सूखा गर्म वातावरण होने पर लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई काम मे ली जा सकती है।
  • बिमारियां- इसमें लगभग कोई बिमारी नहीं लगती है।
  • पहले वर्ष से ही फलोत्पादन शुरू
  • आमतौर पर इन पौधों पर मई से जून में फूल आने शुरू होते हैं।
  • तथा अगस्त से दिसम्बर महीने में फल आते हैं।
  • फूल आने के एक महीने बाद ड्रैगन फल तैयार हो जाते हैं तथा दिसम्बर तक लगातार आते जाते है। इस अवधि के दौरान 6 बार तक फल तोड़े जा सकते हैं।
  • बिना पके फल का रंग चमकिला हरा होता है। पकने पर लाल रंग हो जाता हैं। रंग बदलने के 3 से 4 दिनों बाद फल तोड़ लेना चाहिए। निर्यात की स्थिति में रंग बदलने के 1 दिन बाद ही तोड़ लेना चाहिए।
  • फल तोड़ने हेतु - हंसिए या हाथ का प्रयोग करें
  • उपज- लगभग 5 से 6 टन पर एकड़ हो सकती है।
  • अन्तिम पंक्ति:

  • स्वास्थ्य लाभ
  • लोकल बाजार में अच्छी मांग तथा अन्तराष्ट्रीय बाजारों में भी अच्छी मांग।
  • अतः ड्रैगन फल से अच्छी आमदनी ली जा सकती है
  •  
    सम्पर्क करें--  
    हिलकोरा कम्पनी (Hilkora Company)
    Behind "Kisaan" Girls Hostel, Baldev Nagar, Barmer, Rajasthan, India
    Mobile- 08003850755, E-mail- hilkorahelp@gmail.com
    www.hilkora.com
     
     
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